सन्धि: सबसे हम लड़ाई तो कर नहीं सकते तो ऐसे लोगों से जो बहुत ताकतवर हैं, हमें मिलजुल कर साम दाम दंड से हराना होगा।
No.1st
विग्रह: अगर दो या दो से ज्यादा लोग आपके विरोध में हैं तो आपको सबसे पहले उन दोनों के बिच विवाद करना होगा। या आपस में ही उन दोनों को लड़ा दिया जाता है।
No.2nd
आसन: अगर हमारा दुश्मन बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली हो तो इन्तेजार किया जाता है दुश्मन जब किसी परेशानी हो तब उसके ऊपर हमला कर दीजिये।
No.3rd
यान: जब हमें पूरा भरोसा होता है की जीत हमारी ही होगी, तब हमें शत्रु के ऊपर पूरी तरह से आकर्मण कर देना चाहिए। वैसे जब कोई विकल्प न हो सभी ऐसा करना चाहिए
No.4th
क्योंकि जितना नुक्सान सामने वाले का होगा लगभग लगभग हमारा भी उतना ही नुकसान होगा।
संश्रय: इसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब शत्रु आपसे बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो। और आप कुछ भी कर के उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते हो।
No.5th
संश्रय में आप उसकी सरण में चले जाओ और बोलो आज से मैं आप मेरे स्वामी और मैं आपका दास हूँ। और उसके साथ रहकर उसकी जड़े खोदते चले जाओ।
द्वैधीभाव: इसमें अपने शत्रु से इस तरह का व्यहार किया जाता है जिसमे शत्रु को लगे फायदा हो रहा है लेकिन उससे नुक्सान हो रहा है।
No.6th
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