सयंम और निरंतर प्रयास दो ऐसी कुंजियाँ हैं जो बड़े से बड़े संकट को टाल देती हैं।
बुद्धिमान एवं उत्तम व्यक्ति हीरे के सामान होते हैं, यदि अपने पास हों तो अमृत यदि शत्रु के पास हों तो विष।
इसलिए श्रेस्ट मनुष्य मिलते ही उसे बिना विलम्ब अपने पक्ष में कर लो, और फिर कभी जाने मत दो।
जीवन में सदा मीठे स्वाभाव और सरलता से लक्ष्य नहीं साधा जा सकता, दीवार पे कुछ लगाना हो तो कील की आवश्यकता पड़ती है।
मात्र परिश्रम और सरल स्वाभाव से सफलता अधिक समय तक टिकती नहीं, उसके लिए अपने निर्णय में दृढ़ता, कठोरता लाना पड़ता है।
परामर्श लेते समय सरल रहो परन्तु उसे कार्य रूप देते समय नुकीले और दृढ़ रहो।
जीवन में कभी एक सर्प और दुर्जन व्यक्ति के बीच किसी एक पर भरोशा करना हो तो सदैव सर्प का ही चुनाव करें।
क्योंकि सर्प केवल तभी काटता है जब उस पर प्राणो का संकट हो, परन्तु दुर्जन व्यक्ति अपने स्वार्थ के कारण, पग पग पर आपको हानि पहुंचाने से पीछे नहीं हटेगा।
यदि आपके देश में सम्मान नहीं, आजीविका के अवसर नहीं, तो कहीं न कहीं दोषी आप भी हैं।
ऐसी अवस्था में अपने देश को छोटा मत समझो, यहीं ज्ञान फैलाओ, यहीं आजीविका के अवसर उत्पन्न करो, यहीं सम्मान पाओ।
क्योंकि दुसरो का घर कितना भी अच्छा क्यों ना हो, नींद सदा अपने ही बिस्तर पर आती है।
जैसे हर देवता को प्रसन्न करने के लिए भिन्न परिक्रिया होती है, उसी प्रकार भिन्न प्रतिबन्धियों को एक ही अस्त्र से वश में नहीं किया जा सकता है।
भिन्न भिन्न व्यक्तियों के साथ उनके स्वाभाव और आवश्यकता के अनुसार ही व्यहार करना चाहिए। कोई समझाने से समझे, कोई लोभ के लालच में साथ देगा।
कोई दंड से मार्ग पर आएगा तो किसी को भेद से तोडना होगा। जैसे लोग हों वैसे उनके साथ व्यहार करो।
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