आदर्श विधार्थी वो है जो किसी भी परिस्थिति में सीखने के लिए सदैव तैयार हो।

छोटे से मिले बड़े से मिले जहाँ से भी मिले उसे मात्र शिक्षा ग्रहण करनी है।

इच्छित विधा चाहे अपनों से मिले या पराया से मिले, मित्रो से मिले या शत्रु से मिले उसका लक्ष्य- हर मूल्य पर विद्या।

चाहे उसे मान मिले या अपमान मिले गुरु जो सिखाये उसे सीखो।

गुरु जो कहे उसे करो यही एक आदर्श विद्यार्थी की पहचान है।

लेकिन एक आदर्श विधार्थी को अच्छे गुरु की पहचान करना बहुत जरुरी है।

अच्छे गुरु की पहचान करने का सबसे अच्छा तरीका है की जो आपके गुरु हैं वो उस विषय में एक्सपर्ट हैं या नहीं।

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