ऋण, शत्रु और रोग को अपने जीवन से समाप्त कर देना चाहिए।
शेर भूखा होने पर भी घास नहीं खाता।
शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाये रखें।
शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाये रखें।
जो व्यक्ति धैर्यवान नहीं है उसका न तो भविष्य है और ना ही वर्तमान।
संकट में बुद्धि ही काम आती है।
लोहे को लोहे से ही काटना चाहिए।
अन्न के सिवाय कोई दूसरा धन नहीं।
भूख के सामान कोई दूसरा शत्रु नहीं।
विद्या ही निर्धन का धन है इसे चोर भी नहीं चुरा सकता।
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