भीड़ का अकेला | Alone in the Crowd – a Short Story
भीड़ का अकेला “पथिकों की भीड़ में पथिक ये बिल्कुल अकेला है, नज़ाकत से आंसुओ को छिपा मुस्कुराकर हर भीड़ में न जाने किसने कितना झेला है।” बचपन से पढ़ी कविताओं, कहानियों को पढ़ कर हमेशा मैं सोचा करती थी की कठिन पर्वतों के शिखर को छूने निकले कदमों को चलने का कितना परिश्रम करना […]
भीड़ का अकेला | Alone in the Crowd – a Short Story Read More »