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What is Law of Karma | Karma kya hai
कर्म का नियम क्या है ?
Law of Karma |
कर्म क्या है ? ( What is Karma in Hindi? )
कर्म–जिस काम को करने के पीछे आप का कोई Motive (उद्देश्य) हो, यानि अगर आप किसी काम को सोच समझ कर या जान बूझकर करते है। वह काम ही कर्म कहलाता है।
अकर्म – जिस काम को आप अनजाने में करते है उस काम को करने का आप का कोई उद्देश्य नहीं होता, वह काम अकर्म होता है।
अच्छा कर्म -किसी भी काम को करने का अगर हमारा Intention (इरादा) अच्छा हो ,तो वह कर्म अच्छा कर्म कहलाता है।
बुरा कर्म – यदि किसी ही काम को करने का अगर हमारा Intention (इरादा) गलत है, तो वह काम बुरा कर्म कहलाता है।
What is karma in hindi |
कर्म पर अनमोल विचार :-
कर्म करने पर ही तुम्हारा अधिकार है, फल में नहीं. तुम कर्मफल का कारण मत बनो और अपनी प्रवृति कर्म करने में रखो।
जो-जो काम दूसरे के अधीन हों, उन्हें यत्नपूर्वक छोड़़ दे. जो अपने वश में हों, उन्हें यत्नपूर्वक पूरा करे।
कर्म करो और फल की चिंता मत करो।कोई काम चाहे अच्छा हो या बुरा, बुद्धिमान को पहले उसके परिणाम का विचार करके तब काम में हाथ लगाना चाहिए।
आज्ञा के सिवा जो कुछ है, वह यदि प्रत्यक्ष और अनुमान से ठीक न जँचे, तो उसका दूर से ही अनादर कर देना चाहिए।
मनुष्य धन द्वारा अधिक जीता है. विद्या से सुखपूर्वक जीता है, शिल्प से थोड़ा जीता है, बिना कर्म के मनुष्य जीवित ही नहीं रहता है।
उसी काम का करना ठीक है जिसे करके अनुताप करना न पड़े, और जिसके फल का प्रसन्न मन से भोग करें।
कर्म सदा कर्ता के पीछे-पीछे चलते हैं। संसार के सारे कर्म इसके पार करने के सेतु हैं, देखने में एक कर्म दूसरे से भिन्न है पर उन सब के मिलने से ही वह सेतु बनता है जो संसार के पार लगाता है।
तन और मन दोनों को सदैव सत्कर्म में प्रवृत्त रखो। छोटे से छोटा कर्म भी परमात्मा को अर्पित पुष्प है। कर्म ही सबसे बड़ा शिक्षक है।
कर्मो से ही पहचान होती हैं इंसानो की दुनिया में, अच्छे कपड़े तो बेजान पुतलों को भी पहनाये जाते है दुकानों में।
भाग्य के दरवाजे पर सर पीटने से बेहतर है, कर्मो का तूफ़ान पैदा करें सरे दरवाजे खुल जायेंगे।
ईश्वर हमें कभी सजा नहीं देते, हमारे कर्म ही हमें सजा देते हैं।
हे ईश्वर मुझे अधिक लेने के लिए नहीं, अधिक देने के योग्य बनाओ।
अपने कर्म को सलाम करो, दुनियाॅं तुम्हे सलाम करेगी! यदि कर्म को दूषित रखोगे तो, हर किसी को सलाम करना पड़ेगा।
ये जरूरी तो नहीं कि इंसान हर रोज मंदिर जाए.. बल्कि कर्म ऐसे होने चाहिए की इंसान जहाॅ भी जाए मंदिर वहीं बन जाए।
कर्म करते चलो मेहनत का फल और समस्या का हल , देर से ही सही पर मिलता जरूर है।
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