हर इंसान अपनी जिंदगी में कभी-न-कभी दुख, तनाव, डर, अकेलापन या टूटन महसूस करता है। लेकिन हमारी समस्या यह है कि हम अपने दर्द को छुपाते हैं। किताब “It’s Okay Not to Be Okay” हमें सिखाती है कि कमज़ोर महसूस करना भी इंसान होने का हिस्सा है—और इसमें शर्म की कोई बात नहीं।
इस ब्लॉग में हम इस बुक का आसान हिंदी सार, मुख्य सीख, उदाहरण, और लाइफ में लागू करने वाली बातें जानेंगे।
⭐ Introduction: क्यों जरूरी है अपनी भावनाओं को स्वीकारना?
आज की दुनिया में हर कोई सोशल मीडिया पर “खुश” दिखने की कोशिश करता है।
लेकिन सच्चाई यह है कि—
हर कोई अंदर से पूरी तरह ठीक नहीं होता।
कई लोग डिप्रेशन, एंग्जायटी, अकेलापन और ओवरथिंकिंग जैसे मुश्किलों से लड़ रहे होते हैं, पर कह नहीं पाते।
इसी वजह से किताब “It’s Okay Not to Be Okay” बताती है कि:
- अपने इमोशंस को स्वीकारना ही हीलिंग का पहला कदम है।
- जो महसूस हो रहा है, उसे इग्नोर मत करो।
- आप इंसान हो—मशीन नहीं।
- आपको हमेशा परफेक्ट या स्ट्रॉन्ग दिखने की जरूरत नहीं।
यह आर्टिकल तुम्हें एक आसान, दोस्ताना और प्यार भरी भाषा में बुक की पूरी समझ देगा।
🧡 It’s Okay Not to Be Okay Book Summary
यह किताब एक तरह से इमोशनल सेल्फ-हेल्प गाइड है। इसमें बताया गया है कि हम अपनी भावनाओं को कैसे समझें, कैसे स्वीकारें, और कैसे धीरे-धीरे बेहतर हों—बिना खुद पर ज़ोर डाले।
किताब के 7 बड़े मैसेज हमें आगे बढ़ने में मदद करते हैं।
1. खुद को मजबूर मत करो कि हमेशा “ठीक” ही रहना है
हमारा सबसे बड़ा डर होता है—
“लोग क्या कहेंगे अगर मैं टूट गया?”
और इसी वजह से हम कहते रहते हैं:
“मैं ठीक हूँ, सब अच्छा है…”
जबकि अंदर से हम ठीक नहीं होते।
किताब कहती है:
तुम्हारा टूटना तुम्हें कमजोर नहीं बनाता।
👉 Example:
मान लो तुम्हारा काम ठीक नहीं चल रहा, और तुम अंदर-अंदर तनाव में हो।
अगर तुम हर बार हंस कर कहोगे—“मैं ठीक हूँ”—
तो अंदर दर्द जमा होता जाएगा।
लेकिन अगर तुम कह दो कि,
“हाँ, मैं अभी अच्छा महसूस नहीं कर रहा…”
तो यह तुम्हें हीलिंग के रास्ते पर ले जाता है।
2. अपनी भावनाओं को पहचानो – उन्हें दबाओ मत
हमारे अंदर कई तरह की फीलिंग्स होती हैं—
- गुस्सा
- दुख
- चोट
- डर
- थकान
- ओवरथिंकिंग
किताब कहती है कि इनसे भागो मत।
इनको स्वीकारो।
क्योंकि जिस भाव को तुम दबाते हो, वही तुम्हें सबसे ज्यादा तकलीफ देता है।
👉 Example:
अगर तुम किसी के जाने से दुखी हो, लेकिन दिखा रहे हो कि तुम्हें फर्क नहीं पड़ता,
तो वो दर्द अंदर से जलाता रहेगा।
3. अपनी जिंदगी दूसरों से मत Compare करो
सोशल मीडिया पर सब “हैप्पी लाइफ” दिखाते हैं।
लेकिन वह सिर्फ उनकी हाइलाइट रील होती है।
तुम सोचते हो:
“सबके पास सब कुछ है… मेरे साथ ही क्यों ऐसा होता है?”
लेकिन किताब बताती है:
दूसरा इंसान जो दिखा रहा है, वह उसकी पूरी जिंदगी नहीं है।
👉 यह सीख हमें सिखाती है:
- अपनी journey पर ध्यान दो
- दूसरों की खुशी देखकर अपनी मेहनत कम मत करो
- Comparison सिर्फ दुख बढ़ाता है
4. छोटे-छोटे कदम लो – बड़े बदलाव की जल्दी मत करो
किताब कहती है कि healing एक धीमी प्रक्रिया है।
जैसे एक पेड़ धीरे-धीरे बढ़ता है, वैसे ही इंसान भी समय लेकर ठीक होता है।
तुम्हें बड़े कदम नहीं चाहिए—
छोटे-छोटे कदम काफी हैं।
👉 Examples of small steps:
- रोज़ 10 मिनट टहलना
- एक दोस्त से बात करना
- 5 मिनट गहरी सांस लेना
- आधा घंटा मोबाइल दूर रखना
- रात को एक अच्छी नींद लेना
छोटी चीजें… लेकिन बड़ा फर्क।
5. अपनी सीमाएं तय करो (Set Boundaries)
किताब का एक शानदार सबक है:
हर किसी को खुश करने की कोशिश मत करो।
अगर तुम “नहीं” नहीं बोलते,
तो तुम खुद को खो देने लगते हो।
👉 Boundaries क्यों ज़रूरी हैं?
- तुम्हारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए
- अपने समय को बचाने के लिए
- खुद को emotionally सुरक्षित रखने के लिए
👉 Example:
अगर कोई लगातार तुम्हारा फायदा उठा रहा है,
तो विनम्रता से कहना सीखो:
“मैं अभी यह नहीं कर सकता।”
यह self-respect की निशानी है।
6. अपनी कहानी खुद लिखो – दूसरों को मत तय करने दो
हर इंसान की लाइफ अलग है।
तुम्हारी स्टोरी भी अलग है।
किताब कहती है:
- दूसरों की expectations पर मत जियो
- अपनी choices खुद तय करो
- तुम जैसा महसूस करो, वैसा होने की इजाज़त दो
👉 Real-life example:
कई लोग कहते हैं—
“लोग क्या कहेंगे अगर तुम करियर बदलोगी?”
लेकिन तुम्हारी खुशी तुम्हारी है, लोगों की नहीं।
7. मदद मांगना कमजोरी नहीं—हिम्मत है
हम सोचते हैं कि अगर हम मदद मांगेंगे तो लोग हमें कमजोर समझेंगे।
लेकिन किताब कहती है:
“Help लेना हिम्मत की निशानी है।”
किससे मदद ले सकते हो?
- परिवार
- दोस्त
- काउंसलर
- मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल
- सपोर्ट ग्रुप
👉 जब तुम्हें लगे कि दर्द ज्यादा हो रहा है,
तो किसी भरोसेमंद इंसान से बात करना बहुत जरूरी है।
🌼 किताब की Main Learnings (Short & Powerful)
- खुद को फील करने दो
- सोशल मीडिया मत compare करो
- हर दर्द को शब्द दो
- Healing एक process है
- धीरे चलो, लेकिन चलते रहो
- मदद मांगना बिल्कुल ठीक है
- अपनी सीमाएं तय करो
🌿 Life में कैसे लागू करें? (Practical Tips)
1. दिन में 10 मिनट अपनी feelings लिखो
लिखना दिल को हल्का करता है।
2. Practical self-care शामिल करो
- गहरी सांसें
- 10–15 मिनट yoga
- सही नींद
3. Technology से थोड़ी दूरी रखो
सोशल मीडिया आपके mood पर बड़ा असर डालता है।
4. सही लोगों से ही दिल की बात करो
हर किसी को अपनी कमजोरी मत दिखाओ।
5. अपने दिन में छोटे-छोटे “Happy Moments” जोड़ो
जैसे—
- चाय पीना
- अपने डॉग Tikku के साथ खेलना
- संगीत सुनना
ये छोटी चीजें दिमाग को आराम देती हैं।
📘 Book Characters & Writing Style
किताब में कोई कहानी या किरदार नहीं,
लेकिन इसमें writer अपनी personal experiences और practical life tips share करते हैं।
यह किताब उन लोगों के लिए परफेक्ट है जो—
✓ खुद को ज्यादा दबाव में महसूस करते हैं
✓ Emotional breakdown से गुजर रहे हैं
✓ ज़िंदगी को अंदर से समझना चाहते हैं
✓ अपने mental health को improve करना चाहते हैं
📥 It’s Okay Not To Be Okay PDF Download in Hindi
👉 PDF केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए सुझाव दिया जाता है।
👉 हम किसी भी तरह की piracy को promote नहीं करते।
👉 असली किताब को support करने के लिए readers को original version खरीदने की सलाह दी जाती है।
❗ Health Disclaimer
- यह किताब helpful है, लेकिन अगर आपको लगातार दुख, panic attacks या negative thoughts आ रहे हैं,
तो तुरंत किसी mental health professional से सलाह लें। - Self-help किताबें मार्ग दिखाती हैं, लेकिन इलाज का विकल्प नहीं होतीं।
🇮🇳 भारतीय संदर्भ (Cultural Note)
भारत में emotional problems को अक्सर “weakness” माना जाता है।
लेकिन अब समय बदल रहा है।
लोग समझ रहे हैं कि mental health भी उतनी ही जरूरी है जितनी physical health।
यह किताब खासकर भारतीय युवाओं और महिलाओं के लिए बहुत मददगार हो सकती है, क्योंकि यह आपको हक देती है—
खुद को जैसा महसूस हो रहा है, वैसा महसूस करने का।
🙋♀️ FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1. यह किताब किसके लिए है?
उन सभी लोगों के लिए जो emotional struggle, stress, loneliness या confusion से गुजर रहे हैं।
Q2. क्या यह किताब depression में मदद करती है?
हाँ, यह आपको समझने और संभालने में बहुत मदद करती है। लेकिन यह medical treatment का विकल्प नहीं है।
Q3. क्या किताब सरल भाषा में है?
हाँ, किताब बहुत आसान और दिल छू लेने वाली भाषा में है।
Q4. क्या PDF पढ़ना legal है?
केवल तभी जब वह author द्वारा free उपलब्ध कराई गई हो। Piracy बिल्कुल गलत है।
Q5. क्या इसे teenagers पढ़ सकते हैं?
हाँ, खासकर teenagers के लिए यह बहुत उपयोगी किताब है।
💛 Conclusion: अपनी भावनाओं को अपनाओ—यही ताकत है
किताब “It’s Okay Not to Be Okay” हमें यह सिखाती है कि
दर्द को दबाना नहीं… समझ कर धीरे-धीरे ठीक होना असली ताकत है।
आप इंसान हैं, और इंसान टूटते भी हैं, संभलते भी हैं।
अपने दिल को सुनो, अपनी pace पर चलो और खुद को प्यार देना मत भूलो।
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