लोग अक्सर कहते हैं—“कल करूँगा… अभी थोड़ा आराम…”
और फिर वही कल कभी आता ही नहीं।
काम जितना आसान हो, हम उतना उसे टालते जाते हैं।
इसी आलस की बीमारी पर सुश्री Sudha Murty जी ने एक खूबसूरत और सीख से भरी कहानी लिखी है—
A Cure for Laziness By Sudha Murty Book।
इस ब्लॉग में आपको मिलेगा:
- आसान भाषा में पूरी कहानी
- जिंदगी में आलस कैसे खत्म करें
- सीख, फायदे, असली ज़िंदगी के उदाहरण
- अंत में PDF डाउनलोड लिंक
- और गूगल के हिसाब से SEO-friendly कंटेंट
यहाँ हम A Cure for Laziness By Sudha Murty Summary को बहुत सरल और दोस्ताना अंदाज़ में समझेंगे—ताकि हर उम्र का पाठक इसे पढ़कर तुरंत अपनी जिंदगी में बदला ला सके।
कहानी की शुरुआत – आलस की बीमारी क्यों लगती है?
Sudha Murty की कहानियाँ हमेशा दिल को छूती हैं, क्योंकि वो बहुत सरल और असली ज़िंदगी के करीब होती हैं।
ये कहानी भी वैसी ही है—एक छोटे से गाँव के लड़के की, जिसका नाम था Ramu।
रमु की दिक्कत ये थी कि वो काम करने से ज़्यादा, काम टालने में एक्सपर्ट था।
- स्कूल जाने में बहाने
- घर के काम में बहाने
- पढ़ाई में बहाने
- यहाँ तक कि खेलने में भी आलस
रोज़ वही लाइन:
“थोड़ी देर में करता हूँ…”
हम सब की ज़िंदगी में कोई-न-कोई रमु जैसा इंसान तो जरूर होगा—कभी दोस्त, कभी भाई, कभी हम खुद।
और यही कारण है कि यह कहानी हर किसी से जुड़ जाती है।
आलस का असली नुक़सान – जब ज़िंदगी रुकने लगती है
Sudha Murty जी ने रमु के जीवन से दिखाया कि आलस सिर्फ समय खराब नहीं करता, बल्कि ये 3 बड़े नुकसान देता है:
1. सपने पूरे नहीं होते
क्योंकि सपने देखने में मेहनत नहीं लगती
पर उन्हें सच करने में बहुत लगती है।
और आलसी इंसान मेहनत से भागता है।
2. दूसरों पर निर्भरता बढ़ती है
जब आदमी अपना काम खुद नहीं करता,
तो वो हमेशा दूसरों के भरोसे जीता है।
3. आत्मविश्वास खत्म
काम टालने से मन में डर बैठ जाता है—
“मैं कर ही नहीं पाऊँगा।”
ये तीन बातें रमु की जिंदगी बदलने वाली थीं।
कहानी का मोड़ – जब रमु मिला एक अनोखे बूढ़े आदमी से
एक दिन जंगल में घूमते हुए रमु की मुलाकात एक बुद्धिमान बूढ़े आदमी से होती है।
वो रमु को देखता है और उसकी चाल-ढाल से ही समझ जाता है कि यह लड़का आलस की गहरी बीमारी से परेशान है।
वो मुस्कुराकर रमु से पूछता है:
“बेटा, तुम इतने थके हुए क्यों दिखते हो? काम किया है, या काम करने का नाम सुना है?”
रमु शर्मिंदा हो जाता है।
बूढ़ा आदमी कहता है:
“आलस कोई बीमारी नहीं, आदत है। और हर आदत की दवा भी होती है।”
रमु की आंखें चमक जाती हैं—
“दवा? सच में?”
बूढ़ा आदमी उसे एक “जादुई दवा” के बारे में बताता है।
लेकिन दवा असल में जादुई नहीं थी—
जादू था उसकी समझ में।
जादुई दवा क्या थी? – कहानी की सबसे जरूरी सीख
बूढ़ा आदमी कहता है:
“काम को पहले करो, बाद में आराम करो।
यही आलस की सबसे बड़ी दवा है।”
वो समझाता है:
- जो काम करना है, उसे तुरंत शुरू कर दो
- 10 मिनट मन को मजबूर करो
- फिर शरीर खुद चलने लगेगा
- हर दिन थोड़ा-थोड़ा करोगे तो काम आसान लगता जाएगा
वो रमु को तीन नियम भी देता है:
आलस भगाने के 3 सुनहरे नियम (Sudha Murty की सीख)
ये तीन नियम इस कहानी की जान हैं।
1. 10-मिनट नियम
अगर कोई काम करना मुश्किल लग रहा हो,
तो बस 10 मिनट करो।
10 मिनट के बाद दिमाग कहता है—
“चलो, थोड़ा और कर लेते हैं।”
यह नियम बच्चों, बड़ों, छात्रों—सब पर काम करता है।
2. पहले कठिन काम करो
आलस हमेशा कठिन काम के समय आता है।
इसलिए सुबह या दिन की शुरुआत में वही काम कर लो
जिससे तुम सबसे ज्यादा भागते हो।
3. हर दिन 1 छोटा लक्ष्य
बड़े लक्ष्य डराते हैं,
छोटे लक्ष्य पूरे होते हैं।
जैसे:
- 10 पेज पढ़ना
- 20 मिनट चलना
- 1 असाइनमेंट पूरा करना
छोटे लक्ष्य बड़ी आदत बनाते हैं।
कहानी का बदलता रमु – जब मेहनत आदत बन गई
रमु शुरुआत में संघर्ष करता है,
पर बूढ़े आदमी के नियम मानकर धीरे-धीरे बदलने लगता है।
- उसने हर दिन 10-10 मिनट पढ़ाई शुरू की
- खेत में माता-पिता की मदद की
- स्कूल जाना शुरू किया
- अपने काम टालना बंद किया
धीरे-धीरे उसके अंदर आत्मविश्वास आने लगा।
गाँव वाले भी कहते:
“रमु तो अब बिल्कुल बदल गया!”
उसकी जिंदगी बदलने का कारण कोई दवा नहीं था,
बल्कि छोटी-छोटी आदतें थीं।
हमारी असल जिंदगी की सीख – आलस कैसे छोड़ें?
इस कहानी की सीख केवल बच्चों के लिए नहीं,
बल्कि हर उम्र के लोगों के लिए है।
यहाँ कुछ आसान टिप्स दिए हैं
जो Sudha Murty की इस कहानी से निकलते हैं।
1. सुबह सबसे पहले बिस्तर से तुरंत उठना
5 मिनट और…
10 मिनट और…
यहीं से आलस की जड़ शुरू होती है।
2. फोन की नोटिफिकेशन बंद
बहुत लोग फोन स्क्रॉल करने के कारण काम टालते हैं।
3. टेबल पर सिर्फ वही चीज़ें रखें जिनसे काम करना है
गंदगी दिमाग पर भी असर डालती है।
4. आदत ट्रैकर बनाएं
छोटे-छोटे टिक मार्क आपको आगे बढ़ने का उत्साह देते हैं।
5. खुद को थोड़ा इनाम दें
काम पूरा हो जाए, तो
चाय, 10 मिनट मोबाईल, या अपने पसंद की चीज़
थोड़ा सा इनाम देने से आदत मजबूत होती है।
एक असली उदाहरण – जो आपकी सोच बदल देगा
मैं एक ऐसा ही उदाहरण आपको बहुत आसान भाषा में बताती हूँ।
मेरी ही एक स्टूडेंट थी—नेहा।
उसका कहना था कि उसे पढ़ने बैठने में आलस आता है।
मैंने उसे सिर्फ एक नियम बताया:
“10 मिनट बैठो, बस 10 मिनट पढ़ो।”
पहले दिन उसने 10 मिनट पढ़ा।
दूसरे दिन 15 मिनट हो गए।
तीसरे दिन 30 मिनट।
एक महीने बाद वो रोज़ 2 घंटे पढ़ने लगी।
यही है छोटी शुरुआत का बड़ा परिणाम।
लेखिका का संदेश – जिंदगी में आगे बढ़ना है तो आदतें बदलो
Sudha Murty जी का हर लेख जीवन से जुड़ा होता है।
उनकी बातों में गहराई और सादगी दोनों होती हैं।
इस कहानी में वो यही कहना चाहती हैं:
“आलस इंसान की छिपी हुई ताकत को दफना देता है।
अगर जीवन में आगे बढ़ना है, तो आदतें बदलो।”
इस कहानी के 10 बड़े सबक
- काम टालना सबसे खतरनाक आदत है
- छोटे लक्ष्य बड़े बदलाव लाते हैं
- हर काम की शुरुआत कठिन होती है
- 10 मिनट नियम सबसे जादुई है
- आलस एक बीमारी नहीं, आदत है
- काम करने से मन खुश होता है
- छोटा-सा बदलाव भी बड़े फर्क लाता है
- सुबह का समय सबसे उत्पादक होता है
- खुद को धोखा मत दो—“कर लूँगा बाद में”
- सफलता केवल मेहनती लोगों की होती है
A Cure for Laziness By Sudha Murty Book PDF Download in Hindi
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FAQ – पाठकों के सबसे आम सवाल
1. क्या यह कहानी बच्चों के लिए है या बड़ों के लिए भी?
ये कहानी हर उम्र के लिए है। बच्चे, युवा, माता-पिता—सब इसमें अपनी जिंदगी की झलक देख सकते हैं।
2. क्या यह कहानी सच है या कल्पना?
कहानी कल्पना है, लेकिन इसकी सीख 100% असली जिंदगी पर लागू होती है।
3. आलस छोड़ने का सबसे आसान तरीका क्या है?
10 मिनट नियम—बस 10 मिनट काम शुरू करो, आगे काम खुद हो जाएगा।
4. क्या यह कहानी पढ़ाई में मदद करती है?
हाँ, यह कहानी पढ़ाई में आलस को खत्म करने में बहुत मदद करती है।
5. क्या PDF फ्री है?
हाँ, यहाँ दिया गया PDF पाठकों की सुविधा के लिए है।
निष्कर्ष – आज से ही करें छोटी शुरुआत
A Cure for Laziness By Sudha Murty Summary हमें यही सिखाती है:
- छोटी शुरुआत करो
- हर दिन 1% बेहतर बनो
- काम को टालो मत
- और आदतों को बदलकर जिंदगी बदलो
अगर आप भी आलस से परेशान हैं,
तो आज सिर्फ 10 मिनट किसी एक जरूरी काम को दो।
कल वही 10 मिनट आपकी नई आदत बन जाएंगे।
Thanks for Reading!❤️
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