A great spiritual poem
देने वाला बन जाऊँ
✍️ लेखक: संजय यादव
ज़िंदगी का मक़सद बस इतना सा है,
किसी के दुख में थोड़ा सा सहारा बन जाऊँ।
खुद की प्यास रहे अधूरी भले ही,
पर किसी के सूखे होंठों का किनारा बन जाऊँ।
मालूम है मुझे, जेब मेरी खाली है,
पर दिल की तिजोरी में बहुत कुछ बाक़ी है।
खुशी तब नहीं जब मैं कुछ पा जाऊँ,
खुशी तब है जब किसी को मुस्कुराता पाऊँ।
हर कोई कुछ ले रहा है इस दुनिया से,
मैं देना चाहता हूँ — बस देना।
चाहे थक जाऊँ, झुक जाऊँ, टूट भी जाऊँ,
पर किसी का हौसला, किसी का सपना बन जाऊँ।
कई बार सोचा, क्यों इतना लुटाता हूँ मैं,
कहीं ये मेरा अहंकार तो नहीं?
या फिर वो मोह है — बिना शर्त प्रेम का,
जो मुझसे बँटता चला जाता है, बस यूँही।
खुद का बाल्टी खाली है, मानता हूँ,
पर जब किसी की आँखों में चमक देखता हूँ,
तब लगता है — यही असली पूँजी है,
यही मेरा धर्म, यही मेरी पूजा है।
देने वाले बहुत कम होते हैं,
ज़माना लेने वालों से भरा पड़ा है।
मैं उस भीड़ में एक नाम बनूँ,
जो देने आया है — दिल से, बिना शोर के।
मुझे नहीं चाहिए पद, नहीं चाहिए नाम,
बस इतना चाहता हूँ —
अगर मैं खुद का भाग्य ना लिख सकूँ,
तो किसी और का ‘विधाता’ बन जाऊँ।
मैं नहीं चाहता कि थोड़ा दूँ तुम्हें,
न ही बनना चाहता हूँ कोई कर्ण किसी कथा में।
मैं बस चाहता हूँ कि हर किसी के जीवन में,
उम्मीद की एक लौ जला सकूँ।
कोई आस लगाए तो वो बुझ न जाए,
कोई थक जाए तो मेरी बातों से फिर चल पड़े।
मैं चाहता हूँ जब दुनिया बेरुख़ हो जाए,
तो मैं किसी का चलता हुआ चिराग़ बन जाऊँ।
चाहत है — सबकी बाल्टियाँ भर दूँ,
पर लोग अब प्यास लगने पर ही पानी माँगते हैं।
फिर भी दिल कहता है — देता रहूँ, बाँटता रहूँ,
क्योंकि देने में ही तो मेरी असली संपत्ति बसती है।
कभी लगता है मैंने कुछ दिया नहीं,
फिर महसूस होता है —
हर मुस्कान जो मेरी वजह से आई,
वो मेरे हिस्से का आशीर्वाद बन गई।
अब लगता है —
ज़िंदगी को जो अर्थ चाहिए था, वो मिल गया।
अब बस यही करता रहूँ,
देता रहूँ — बिना थके, बिना रुके।
क्योंकि कोई तो हो इस दुनिया में,
जो सिर्फ लेने नहीं, देने आया हो।
जो सिर्फ जीने नहीं,
किसी और के जीने की वजह बन जाए।
निष्कर्ष (Conclusion):
“देना” सिर्फ एक क्रिया नहीं, एक जीवन दर्शन है — जो इंसान को इंसान बनाता है। इस कविता में यह भाव साफ झलकता है कि सच्ची ख़ुशी किसी चीज़ को पाने में नहीं, बल्कि किसी और को मुस्कुराने की वजह बनने में है।
जब हम बिना किसी स्वार्थ के किसी की मदद करते हैं, उसकी आँखों में उम्मीद जगाते हैं, तो वही पल हमारे जीवन का सबसे मूल्यवान क्षण बन जाता है।
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