Gautam Buddha Motivational Story in Hindi

ईमानदारी का फ़ल | Gautam Buddha’s Motivational Story in Hindi

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आज आप पढ़ेंगे गौतम बुद्ध की एक ऐसी कहानी जिससे आपको ईमानदारी और सच्चाई के रास्ते पर रहने की मोटिवेशन मिलेगी। यह कहानी हमें और महात्मा बुद्ध के शिष्यों को एक महत्वपूर्ण सीख सिखाती है, जो सच्चाई और ईमानदारी की महत्वपूर्ण भूमिका को बयान करती है। महात्मा बुद्ध के इस मोटिवेशनल कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि जीवन में सच्चाई और ईमानदारी से काम करके हम खुद को और अपने आस-पास के लोगों को सफ़लता के सही रास्ते पर ले जा सकते हैं।

Gautam Buddha Motivational Story!

ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है।

एक बार की बात है महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ नगर भ्रमण पर निकलने वाले थे पर इस बार बुद्ध जी ने कहा कि क्वेवल कुछ शिष्य ही हमारे साथ इस यात्रा पर जा पाएंगे। इसके लिए हम कल बताएँगे की क्या करना होगा। फिर सभी शिष्य अगली सुबह होने का इंतज़ार करने लगे।

फिर सुबह होते ही सभी शिष्य महात्मा जी के समक्ष जा पहुंचे तभी महात्मा जी ने कहा की हम 3 महीने बाद यात्रा पर निकलेंगे तभी एक शिष्य ने पूछा की गुरु जी आपके साथ यात्रा पर कौन जायेगा। इसके बारे में आपने बताया ही नहीं तभी महात्मा जी बोले की केवल एक ही शिष्य हमारे साथ इस यात्रा पर जायेगा तो सभी शिष्य हैरानी से महात्मा जी के और देखने लगे केवल एक ही शिष्य।

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तब महात्मा जी ने कहा कि हां, और इसका चुनाव हम एक परीक्षा द्वारा करेंगे जो इस परीक्षा में उत्तीर्ण होगा वही हमारे साथ यात्रा पर जा पायेगा। तभी सभी शिष्यों को गुरु जी ने एक एक गमला दे दिया और बोले की जिस भी शिष्य का पौधा सबसे बड़ा होगा वही हमारे साथ इस यात्रा पर जायेगा।

तभी सभी शिष्य अपने अपने गमले लेकर अपने अपने कक्ष में चले गए और सब अपनी तरह से अपने अपने गमले के बीजो को सींचने लगे लगभग ढाई महीना बीत चुका था सभी शिष्यों के पौधे थोड़े थोड़े बढ़ने लगे लेकिन उनमे से एक शिष्य का पौधा बिलकुल भी नहीं बढ़ा लेकिन फिर भी वह निराश नहीं हुआ और हर रोज की ही भाँति अपने गमले के बीज को सींचता रहा लेकिन कोई भी फर्क नहीं पड़ा।

फिर परीक्षा का दिन आ गया, सभी शिष्य अपने अपने गमले लेकर महात्मा जी के समक्ष प्रस्तुत हुए फिर थोड़ी देर बाद वह शिष्य भी वहाँ प्रस्तुत हुआ जिसके गमले में लगा बीज बिलकुल भी नहीं बढ़ा। उस शिष्य को देखकर सभी शिष्य आपस में हॅसने लगे।

तभी महात्मा जी ने बड़े आश्चर्यजनक शब्दों में उस शिष्य से कहा की क्या हुआ वत्स तुम्हारा गमला तो बिलकुल वैसा ही है जैसा की हमने तुम्हे सौपा था, तब उस शिष्य ने जवाब में कहा की क्या करूँ गुरूजी मेने तो इसकी हर रोज खूब देखभाल की लेकिन यह बढ़ा नहीं।

तब दूसरे सभी शिष्य उसका परिहास उड़ाने लगे तब महात्मा जी बोले की शिष्य चलो तुम यात्रा पर चलने की तैयारी कर लो हमे कल सुबह ही निकलना होगा। तभी सभी शिष्य बड़े अचम्भे से महात्मा जी की और देखने लगे तब महात्मा जी ने कहा कि हाँ हमने जो पौधे तुम सबको दिए थे वह सभी बंजर थे।

तो उसमे पौधा कहाँ से उगता। लेकिन तुम सब में से किसी ने भी सच्चाई और ईमानदारी से यह नहीं बताया कि इसमें पौधा नहीं उग पा रहा है बल्कि यात्रा में जाने के लालच में सबने झूठ बोला तब केवल इसी शिष्य ने ईमानदारी और सच्चाई का साथ दिया और यह कहने का साहस किया कि इस गमले से पौधा नहीं उग पा रहा है।

कभी भी हमे ईमानदारी और सच्चाई के पथ से नहीं डगमगाना चाहिए ईमानदारी और सच्चाई की राह थोड़ी मुश्किल जरूर हो सकती है लेकिन इस पथ पर चलने से बहुत बड़ी बड़ी राह आसान हो जाती है, इसलिए सच्चाई और ईमानदारी पर चलने की वजह से आज इस शिष्य को यात्रा पर चलने का मौका मिल रहा है और यह कोई साधारण यात्रा नहीं है बल्कि बहुत बड़े मठ में हम इस शिष्य के साथ जा रहे है जहाँ पर की इसके भविष्य की नयी राह खुलने वाली है।

बुद्ध मोटिवेशनल कहानी का निष्कर्ष:

महात्मा बुद्ध के इस मोटिवेशनल कहानी से हमें यह याद दिलाया जाता है कि ईमानदारी और सच्चाई का महत्व सबसे ज्यादा है, और यह हमारे जीवन में सफलता पाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमें कभी भी सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता नहीं छोड़ना चाहिए, चाहे हमारे सामने कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं। सच्चाई और ईमानदारी हमारे जीवन को संजीवनी बना सकती है और यही सफ़लता का राज़ है।

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