पेरिस ओलंपिक 2024 के मैदान में मनु भाकर ने तिरंगे को नई ऊंचाइयों पर ले जाकर भारत माँ का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। 10 मीटर एयर पिस्टल में उनकी सुनहरी निशानेबाजी ने न केवल उन्हें बल्कि पूरे देश को भावुक कर दिया। जीवन के संघर्षों को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि दृढ़ संकल्प और लगन से असंभव कुछ भी नहीं है।
Olympian Manu Bhaker Biography in Hindi
तो आइये इस ब्लॉग पोस्ट में हम जानते हैं की मनु भाकर के जीवन के संधर्ष क्या थे, उनकी मोटिवेशन क्या थी और उनके जीवन को विस्तार में जानेगे!
मनु भाकर का जीवन परिचय
पूरा नाम | मनु भाकर |
जन्म स्थान | झज्जर हरियाणा, भारत |
उम्र | 22 साल |
शिक्षा एवं प्रशिक्षण केंद्र | यूनिवर्सल सीनियर सेकंडरी स्कूल |
कोच | अनिल जाखड़ |
खेल | शूटिंग, बॉक्सिंग, तांगता, जुडो-कराटे (अंतर्राष्ट्रीय स्तर) |
माता का नाम | सुमेधा |
पिता का नाम | N/A |
ISSF wORLD चैम्पियनशिप (मैक्सिको गुआडलाजरा) | गोल्ड मेडल (10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग) |
एशियाई शूटिंग प्रतियोगिता | सिल्वर पदक (पिस्टल शूटिंग) |
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
मनु भाकर का जन्म 18 फरवरी 2002 को गोरिया, झज्जर, हरियाणा में हुआ था। उनके पिता रामकिशन मर्चेंट नेवी में चीफ इंजीनियर हैं और मां सुमेधा पास के एक स्कूल में प्रिंसिपल हैं। मनु का पालन-पोषण एक पारंपरिक हरियाणवी परिवार में हुआ था।
स्कूल के दिनों में मनु विभिन्न खेलों जैसे तैराकी, कराटे, टेनिस, स्केटिंग और मुक्केबाजी में सक्रिय रूप से भाग लेती थी। वह खेलों के प्रति बहुत उत्साही थीं, लेकिन इन खेलों में वह उतनी सफल नहीं हो पाईं।
खेल और व्यक्तिगत विकास
मनु भाकर की निशानेबाजी की यात्रा की शुरुआत:
जब मनु सिर्फ चौदह वर्ष की थीं, तब उनके पिता उन्हें शूटिंग रेंज ले गए। वहां उन्होंने खेल पिस्तौल से निशाना साधा और पहली ही कोशिश में निशाना साधकर सभी को चकित कर दिया। एक किशोरी का इतना सटीक निशाना देखकर उनके पिता को अपनी बेटी की प्रतिभा पर गर्व हुआ।
मनु को निशानेबाजी में गहरी रुचि हो गई। 2016 के रियो ओलंपिक के तुरंत बाद, उन्होंने अपने पिता से एक स्पोर्ट्स पिस्टल खरीदने का अनुरोध किया। उनके पिता ने अपनी बेटी की प्रतिभा को पहचानते हुए उनकी इच्छा पूरी की। हालांकि, एक नाबालिग को पिस्टल रखने की अनुमति नहीं होने के कारण उनके पिता को अपनी नौकरी तक गंवानी पड़ी।
लेकिन मनु के पिता ने कभी भी अपनी बेटी का हौसला नहीं छोड़ा और हमेशा उनके साथ खड़े रहे। मनु ने दृढ़ निश्चय किया कि वह भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतेंगी। उन्होंने कड़ी मेहनत शुरू कर दी और अक्सर संगीत सुनकर अभ्यास करती थीं।
शूटिंग करियर की शुरुआत
जब अधिकांश किशोर अपनी उम्र में मनोरंजन में मग्न होते हैं, तब 15 वर्षीय मनु भाकर ने खेल जगत में इतिहास रच दिया। उन्होंने अनुभवी निशानेबाज हीना सिद्धू को पछाड़कर नया रिकॉर्ड बनाया, 242.3 का एक अविश्वसनीय स्कोर। यह सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि युवा प्रतिभा का एक जबरदस्त प्रदर्शन था।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ
युवा शूटर का उल्लेखनीय प्रदर्शन: मात्र 15 वर्ष की आयु में, मनु भाकर ने 2017 एशियन जूनियर शूटिंग चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। लेकिन इससे भी अधिक आश्चर्यजनक बात यह थी कि 16 साल की उम्र में, उन्होंने 2018 ISSF विश्व कप में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के क्वालीफिकेशन राउंड में जूनियर विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया।
उन्होंने फाइनल में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अन्ना कोराकाकी और अन्य दिग्गज निशानेबाजों को हराकर स्वर्ण पदक जीता। 237.5 के अद्भुत स्कोर के साथ, मनु भाकर सबसे कम उम्र की भारतीय और विश्व की सबसे कम उम्र की ISSF विश्व कप विजेता बन गईं।
प्रमुख उपलब्धियाँ और पुरस्कार
मनु भाकर: निशानेबाजी की उभरती सितारा
2018, मनु भाकर के लिए एक स्वर्णिम वर्ष रहा। इस वर्ष उन्होंने निशानेबाजी की दुनिया में एक नया अध्याय जोड़ा।
साल की शुरुआत में, उन्होंने ISSF विश्व कप में 10 मीटर एयर पिस्टल में व्यक्तिगत और मिश्रित टीम दोनों स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीतकर सभी को चकित कर दिया। इसके तुरंत बाद, ऑस्ट्रेलिया में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा। मात्र 16 वर्ष की उम्र में, उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय शूटर बनने का गौरव हासिल किया।
इसी साल, उन्होंने ISSF जूनियर विश्व कप में भी स्वर्ण पदक जीता और अपनी टीम के साथ कांस्य पदक भी जीता। हालांकि, इसी दौरान उन्हें 25 मीटर की पिस्टल स्पर्धा से बाहर कर दिया गया।
2018 में, ब्यूनस आयर्स युवा ओलंपिक खेलों में मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वे इस स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला शूटर बनीं।
2018 के बाद भी मनु की सफलता का सिलसिला जारी रहा। उन्होंने 2019 में कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीते, जिनमें चीन, भारत, जर्मनी, ब्राजील और कतर में आयोजित ISSF विश्व कप और एशियन शूटिंग चैंपियनशिप शामिल हैं।
मनु भाकर ने न केवल अपनी प्रतिभा से, बल्कि अपनी लगन और समर्पण से भी सभी को प्रभावित किया। इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धियां हासिल करके उन्होंने साबित कर दिया कि उम्र महज एक संख्या है और दृढ़ संकल्प से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। हालांकि, मनु भाकर संतुष्ट नहीं हैं। उनका लक्ष्य ओलंपिक में पदक जीतना है और वे इसके लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।
प्रशिक्षण और कोचिंग Manu Bhaker Coach in Olympics
मनु भाकर की पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने का श्रेय उनके अनुभवी कोच जसपाल राणा को भी जाता है। राणा, जो कि शूटिंग के क्षेत्र में एक माहिर कोच हैं, ने मनु को कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ प्रशिक्षित किया। राणा की विशेषज्ञता और मनु की प्रतिभा का यह अद्भुत संगम ही है जिसने उन्हें ओलंपिक पदक दिलाया है।
जीवन की मुश्किलें और संघर्ष
2020 टोक्यो ओलंपिक में मनु भाकर की अप्रत्याशित हार ने उन्हें गहरा सदमा पहुंचाया था। उन्होंने इस असफलता का कारण अपने कोच जसपाल राणा के साथ मतभेदों को बताया था। इस घटना ने मनु के मन में एक ठान ली थी कि वह अपनी प्रतिभा को साबित करेंगी।
टोक्यो ओलंपिक के बाद मनु ने खुद को बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत शुरू कर दी। उन्होंने अपने कोच के साथ मतभेदों को भुलाकर एक बार फिर से प्रशिक्षण शुरू किया। मनु का मानना था कि असफलताएं हमें मजबूत बनाती हैं और उन्हें एक नई शुरुआत करने का मौका मिल गया था।
मनु ने अपनी मेहनत और लगन से सभी को चकित कर दिया। उन्होंने पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल में व्यक्तिगत और मिश्रित टीम दोनों स्पर्धाओं में कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया। मनु भाकर 10 मीटर एयर पिस्टल में पदक जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला शूटर बन गईं।
मनु की इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि असफलताएं हमें तोड़ नहीं सकतीं, बल्कि हमें और मजबूत बना सकती हैं। मनु भाकर एक प्रेरणा बन गई हैं और उन्होंने लाखों युवाओं को सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रेरित किया है।
सामाजिक योगदान और प्रेरणा
मनु भाकर: एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व
मनु भाकर सिर्फ एक निशानेबाज नहीं हैं, बल्कि एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व हैं। उन्होंने खेल के माध्यम से न केवल भारत का नाम रोशन किया है, बल्कि युवाओं को भी प्रेरित किया है। मनु का मानना है कि खेल न केवल शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है।
मनु ने हमेशा लड़कियों को खेलों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया है। उनका मानना है कि खेल के माध्यम से महिलाएं न केवल स्वस्थ रह सकती हैं, बल्कि समाज में अपनी एक अलग पहचान भी बना सकती हैं।
मनु ने हमेशा शिक्षा को भी महत्व दिया है। उन्होंने खेल और शिक्षा दोनों को संतुलित रखते हुए सफलता हासिल की है। उन्होंने यह साबित किया है कि एक व्यक्ति शिक्षा के साथ-साथ किसी अन्य क्षेत्र में भी महारत हासिल कर सकता है।
मनु भाकर एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी जानी जाती हैं। वे हमेशा समाज के कमजोर वर्गों के लिए काम करती रहती हैं। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए भी कई अभियान चलाए हैं।
मनु भाकर एक आदर्श व्यक्तित्व हैं। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से यह साबित कर दिया है कि यदि हम दृढ़ संकल्प के साथ कुछ करना चाहें तो हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
मनु भाकर एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने अपनी मेहनत, लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति से साबित किया है कि उम्र महज एक संख्या है। उन्होंने न केवल खेल जगत में, बल्कि समाज सेवा के क्षेत्र में भी अपनी छाप छोड़ी है। उनकी कहानी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो बताती है कि कैसे कड़ी मेहनत और समर्पण से सफलता की सीढ़ियां चढ़ी जा सकती हैं। मनु भाकर का जीवन एक आदर्श है, जिसे हर व्यक्ति को अनुसरण करना चाहिए।
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