Gautam Buddha Story in Hindi

स्थाई कुछ भी नहीं सब है विश्रामस्थल | Gautam Buddha Short Story in Hindi

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आज हम बात करेंगे गौतम बुद्ध के एक ऐसे कहानी के बारे में जो हमें याद दिलाती है कि जीवन में सब कुछ अनिश्चित और अस्थाई है। महात्मा बुद्ध के इस उपदेश के माध्यम से हम सीख सकते हैं की इस जीवन की अस्थायिता और अनित्यता का सामना कैसे कर सकते हैं। अगर आप अपने इस जीवन को सुख और ख़ुशी से बिताना चाहते हैं तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

Gautam Buddha Short Story in Hindi

एक बार की बात है महात्मा बुद्ध जी अपने कुछ शिष्यों के साथ नगर भ्रमण पर निकले हुए थे। चलते चलते शिष्य बहुत ज्यादा थक गए, तभी कुछ शिष्यों ने महात्मा जी से कहा की गुरुदेव अगर आपकी आज्ञा हो तो क्या आज रात यही विश्राम कर ले।

तभी महात्मा जी बोले की कोई उचित स्थान दिखते ही हम वही विश्राम करेंगे। तभी चलते चलते उन्हें एक महल दिखाई दिया वह सभी उस महल की तरफ बढ़ने लगे और महल के मुख्यद्वार पर जा पहुंचे और फिर द्वारपालों से जाकर कहा, हम महल में प्रवेश कर सकते है?

तभी द्वारपालों ने उनकी वेशभूषा देखकर उन्हें और उनके शिष्यों को अंदर जाने दिया और वे राजा के दरवार में जा पहुंचे तभी राजा ने बड़ी विनम्रता से कहा की मान्यवर हम आपकी क्या सेवा कर सकते है? तभी महात्मा जी ने कहा कि हे राजन क्या हम आज रात आपके महल में विश्राम कर सकते है?

Gautam Buddha Short Story

Read it: Gautam Buddha’s Moral Stories in Hindi

रभी राजा ने क्रोधित स्वर में कहा की यह मेरा महल है कोई विश्राम स्थल नहीं है। तभी इस बात पर जवाब देते हुए महात्मा जी ने कहा कि अच्छा ऐसा है, तभी महात्मा जी ने सवाल पूछते हुए राजा से पूछा की हे राजन क्या आप बता सकते है कि आपसे पहले यह महल किसका था?

तब इस बात का जवाब देते हुए राजा ने कहा कि इससे पहले यहाँ मेरे पिता का राज्य था। तब महात्मा जी ने कहा की अच्छा अब एक सवाल का जवाब और दीजिये कि आपके पिता से पहले यहाँ किसका राज्य था? तब राजा ने गुस्से में तिलमिलाते हुए कहा कि आप यह कैसे सवाल कर रहे हो?

मेरे पिता से पहले यहाँ मेरे पिता के पिता अथार्त मेरे दादाजी का राज्य था। तो राजन एक बात बताये की जब आपके पिता और दादा जी यहाँ से गए तो यह महल क्या अपने साथ ले गए? इसलिए कहा गया है जो भी इस संसार में आया है वह खाली हाथ ही आता है और खाली हाथ ही जाता है।

इसलिए इस संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है सब कुछ यहाँ अस्थाई है, महल दुमहले सब कुछ यहाँ विश्राम स्थल है कही भी कोई निजी पुरुष अपने सारः अपनी निजी जमीं जायदाद नहीं ले जाता यह सब बातें सुनकर राजा को अपनी भूल का एहसास हुआ। और वह बोला की हे महात्मा जी हमसे बहुत बड़ी गलती हो गयी आप हमे क्षमा कर दे।

आप सभी से हमारी विनती है की आप सभी कुछ दिन यही रुके और हमे सेवा सत्कार का कुछ मौका दे तभी महात्मा जी बोले की हे राजन हमे केवल आज रात ही यहाँ आश्रय चाहिए और फिर सुबह होते ही हमे निकलना होगा क्योंकि दूसरे नगर में हमारा प्रवचन है।

तभी राजा ने अपने सैनिको को आदेश दिया की महात्मा जी को आदर सत्कार के साथ महल में ले जाया जाये और उनके जल पान की व्यवस्था भी की जाये। तब बड़े आदर से महात्मा जी को महल में रुकाया गया।

तो हमे इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि इस संसार में सब कुछ नश्वर है कुछ भी हमारा नहीं है लोग इतनी मोह माया करते है लेकिन यहाँ कुछ भी स्थाई नहीं है।

निष्कर्ष:

गौतम बुद्ध की इस “Gautam Buddha Short Story in Hindi” से हमें यह सीख मिलती है की धन, संभावनाएँ और संपत्ति सिर्फ कुछ पल के लिए हैं। ये चीजें किसी के पास हमेशा के लिए नहीं रहता, क्योंकि अंत में हम सब कुछ छोड़कर जाते हैं। हमें आत्मसमर्पण और सहिष्णुता के माध्यम से अपने आस-पास के लोगों के प्रति दयालु और समझदार बनने की आवश्यकता है।

यह कहानी हमें याद दिलाती है कि हमारे पास केवल एक छोटी सी जिंदगी होती है, और हमें उसे अच्छे तरीके से जीना चाहिए, साथ ही दूसरों के साथ सहयोग और समर्थन करने का प्रयास करना चाहिए।

Thanks for Reading!💖

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